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लोकल ब्रांड फर्नीचर को PLI स्कीम से मिलेगा वैश्विक पहचान, ट्रेडर्स और मैन्युफैक्चरर्स ने किया स्वागत 

FDT Bureau

लोकल ब्रांड फर्नीचर को PLI स्कीम से मिलेगा वैश्विक पहचान, ट्रेडर्स और मैन्युफैक्चरर्स ने किया स्वागत 

दुनिया भर में भारतीय फर्नीचर इंडस्ट्री की पहचान लकड़ी से निर्मित फर्नीचर के रूप में की जाती है, और इसका चलन भले ही पुराना हो लेकिन यह ट्रेंड भारतीय फर्नीचर उद्योग को मजबूती प्रदान करती है। ऐसे में सरकार भारतीय फर्नीचर सेगमेंट को वैश्विक पहचान देने के लिए इसे PLI योजना में शामिल करने जा रही है, जिसका स्वागत फर्नीचर और वुड पैनल प्रोडक्ट से जुड़े ट्रेडर्स से लेकर मैन्युफैक्चरर्स ने किया है।

FDT टीम द्वारा मेरठ फर्नीचर मार्किट का सर्वे के दौरान युवा ट्रेडर प्रतिक गोयल ने बताया कि मेरठ का फर्नीचर बाज़ार इकोनोमिक होने के साथ रिजनेबल प्राइस और बेस्ट क्वालिटी का है। यहाँ का मार्किट बहुत एक्सपेंसिव और लग्जरी नहीं है। यहाँ प्राइस को रिजनेबल रखने के साथ उसकी क्वालिटी को भी मेंटेन रखना पड़ता है। इनकी माने तो केंद्र सरकार ने जब से लोकल फॉर वोकल और मेक इन इंडिया का नारा दिया है उसके बाद से लोकल ब्रांड के फर्नीचर का चलन बढ़ा है और आने वाले दो तीन साल के बाद यह बाज़ार सालाना करीब 35% के रफ़्तार से बढ़ने की उम्मीद है।

मेरठ शहर के फर्नीचर मार्किट के ओब्जर्बेशन में FDT ने पाया कि बुढ़ाना गेट और बोम्बे बाज़ार फर्नीचर बाज़ार में दो दर्जन से ज्यादा छोटी बड़ी लोकल ब्रांड मैन्युफैक्चरिंग फर्नीचर के शोरूम मौजूद है, मगर इनमें एक भी शोरूम इम्पोर्टेड फर्नीचर के नहीं है। यहाँ के ट्रेडर्स सॉलिड लकड़ी के फर्नीचर के साथ मॉडर्न फर्नीचर का भी मेल रखते हैं, क्योकि ट्रेडर्स का कहना है कि सॉलिड लकड़ी के फर्नीचर और स्टील के अलमीरा की बिक्री नहीं के बराबर है, बल्कि इसके जगह फैब्रिक के सोफे और वुडेन अलमीरा की मांग ज्यादा है। युवा ट्रेडर्स नीलांश मित्तल ने बताया कि फर्नीचर में कंज्यूमर्स अब ज्यादा लम्बे समय की ड्यूरेबिलिटी नहीं चाहता, बल्कि वो 8 से 10 साल के बाद फर्नीचर को बदल देना चाहता है। 

फर्नीचर सेगमेंट से जुड़े वुड पैनल प्रोडक्ट या अन्य सेगमेंट के मैन्युफैक्चरर्स की माने तो फर्नीचर सेक्टर एमएसएमई के अंतर्गत आने वाला श्रम प्रधान प्रोडक्ट है। इसके पीएलआई स्कीम  में जुड़ने से देशभर में फर्नीचर कलस्टर विकसित होगा, जिससे कैलिब्रेटेड प्लाईवुड, एमडीऍफ़ और पार्टिकल बोर्ड के साथ लैमिनेट, विनियर और पीवीसी की खपत भी बढ़ेगी। वहीँ आइडियल लैमिनेट प्रा. लि. के डायरेक्टर रिषभ अग्रवाल ने बताया कि निश्चित रूप से अगर फर्नीचर इंडस्ट्री PLI स्कीम में आ जाती है तो इससे जुडी प्लाईवुड, लैमिनेट और वुड पैनल सबपर पॉजिटिव इफेट आयेगा, क्योकि जब पीएलआई स्कीम आएगी तो जो करंट कैपेसिटी है, जो प्रोडक्शन बना रही हैं उनका प्रोडक्शन बढेगा, सबका एक सेल ग्रोथ होगा। साथ ही जब किसी भी सेक्टर में इंसेंटिव दिया जाता है तो उसमें और भी प्लेयर ग्रो करते हैं, और मैन्युफैक्चरर्स एक अच्छे प्रोडक्शन की तरफ मूव करता है।         

ट्रेड एक्सपर्ट् से मिले आंकड़ों पर नजर डाले तो भारत में फर्नीचर इंडस्ट्री लगभग 2.5 लाख करोड़ रुपये का है, जिससे प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से करीब 20 लाख से ज्यादा लोग जुड़े हुए है। साथ ही सालाना सीएजीआर ग्रोथ करीब 14% से 16% का है।

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